कर दो समाज को इतना मजबूत
कि कोई मजबूर ना रहें ।
सबके सर पे छत तन पर वस्त्र और
पेट में अन्न रहे।
प्रभु ने बहुत हीं खूबसूरत दुनियां बनाई
इसकी खूबसूरती ताउम्र बरकरार रहनी चाहिए।
बहुत प्यारी दुनियां इसके प्यारे प्यारे लोग हैं
रूप रंग जाती भेष भूषा मज़हब चाहें अनेक हैं।
पर रगों में बहता हुआ रक्त तो एक सा है
सबके लिए धरती आकाश वायु जल भी एक सा है तो फिर इतनी विविधताएं क्यूं ?
पर जाने भी दो यारों इन विविधताओं में भी
एकता होनी चाहिए।
कोई अलग नहीं हैं सब मानव जाति हैं
इसलिए सबका बराबर सम्मान होना चाहिए।
सिर्फ़ और सिर्फ़ मानवता के उत्थान के काम होनी चाहिए।
और मानवता के हित में सब काम होनी चाहिए।
किस चीज़ की हठ है
है किस के लिए लड़ाई
जो मानवता के लिए कुछ कर गुज़रा
अक्सर लोगों को उसकी हीं याद आई।
उठो चलो बैठो नहीं
ना हीं करो कोई चतुराई।
मानवता के विकास में योगदान करो भाई।
बाकि सब अपने आप हीं..
सब मंगल होई जाई ....
सब मंगल होई जाई...