क्यूं दुःखी हैं लोग समझ नहीं आता।
खुश आदमी कभी मंदिर मस्जिद नहीं जाता।
यूं मंदिरों मस्जिदों में भिड़ नहीं लगती
लोगों को जबतक ज़िंदगी तबाह नहीं
दिखती।
जो खुश है उसमे हीं रब है।
जो खुश है उसमें हीं सब है।
खुशी लोगों को ऊर्जानवीत करती है ।
दिगभ्रष्ट दिग्भ्रमित होने से रोकती है।
सो खुश रहो यारों क्योंकि.....
खुश मन को सबकुछ प्यारा प्यारा
लगता है।
ना निराशा ना अंधेरा उसका कोई भी
कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है।
इसलिए ना उदास रहो ।
ना हताश रहो ।
परेशानियों के दौर भी आए तो
मुस्कुरा के भिड़ो।
छट जायेंगे ये अंधेरे खुद ब खुद
एक दिन......
उन अंधेरों का भी मुक़ाबला मुस्कुरा के करो...
भर दो खुशियां अंधेरों के दामन में
और उजालों का पदार्पण स्वीकार करो।
जीवन में रौशनी की छीटकार कर लो।
जीवन में मुस्कुराहटों से प्यार कर लो ।
जीवन में खुशियां तमाम भर लो...
जीवन में मुस्कुराहटों से प्यार कर लो...
मुस्कुराहटों से प्यार कर लो.....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




