परिवार टूटा तो राम टूटे,
और करवों पांडवों का भी यही हाल हुआ,
आज राजतिलक की तैयारी थी कल 14 वर्षों का वनवास हुआ,
पच्छिमी सभ्यता के कारण आज हमारा यह हाल हुआ,
परिवार की गरिमा को ना समझोगे तो कल तक मिट जाओगे,
लक्ष्मण जैसा भाई और भरत को कहा तुम पाओगे,
अगर कभी दुश्मन ने तुम पर आंख धरी,
तो क्या फिर अकेले लड़ पाओगे,
क्या फिर अकेले लड़ पाओगे,
......परिवार ही अमूल्य है और एकता का सार है,
........... मेरी कविता के अर्थ को समझिए.........
सर्वाधिकार अधीन है