कापीराइट गजल
रूठी-रूठी है अब क्यूं
रूठी-रूठी हैं अब क्यूं ये बहना मेरी
कुछ, बता दो हमें, क्या खता है मेरी
खोल दे राज, तू भी अपने दिल का
क्यूं खामोश है अब भी जुबां ये तेरी
यूं ही, रूठी रहेगी, तू कब तक बता
और लो गी परीक्षा, यूं कब तक मेरी
ये खामोशी तो टूट जाएगी एक दिन
खिल, जाएगी लबों पर, हंसी ये तेरी
तू, सता ले मुझे, जब तक दिल करे
हम दिन भर करेंगे, अब मिन्नत तेरी
गर हुई है खता तो मुझे माफ कर दे
यादव हो खुश गर, इजाजत हो तेरी
- लेखराम यादव
(मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है