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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

बहते अश्को को पोछते है-ताज मोहम्मद

आ बैठके हम अपनी जिंदगी को सोचते है।
किसी मजलूम के बहते अश्को को पोछते है।।1।।

दिलों को मिलेगा हमारे भी कुछ तो सुकूं।
गर सब भूलकर हम अपने घरों को लौटते है।।2।।

एक हादसे से जीना कोई छोड़ देता नहीं।
आ फिर खुद को जिंदगी की तरफ मोड़ते है।।3।।

न जाने उन्हें किसकी है तलाश शिद्दत से।
दिनों रात सूनी पड़ी सड़को पर जो दौड़ते है।।4।।

अबतो ना आएगा शायद वो कभी लौटके।
पंख आने पर परिंदें अपने घर को छोड़ते है।।5।।

न जानें क्यूं हो खामोश कहते-सुनते नही।
चलों अपने-अपने सब राजे दिल खोलते है।।6।।

शिक़वा शिकायतों का न करेंगे तज़किरा।
ज़िंदगी को फिर उनकी ज़िंदगी से जोड़ते है।।7।।

न पूंछो हाले दिल आशिकी का यूं हमसे।
दीवाने दिल मे सब अरमान बनके डोलते है।।8।।

जाके देखो घरसे बाहर किसने दी आवज़।
कोई तो है गली में जो ये रात कुत्ते भोंकते है।।9।।

मुबारक हो तुमको तुम्हारे सब अपने रिश्ते।
हमारा क्या है अब हम तुम्हारा शहर छोड़ते है।।10।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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Lekhram Yadav said

बहुत उत्कृष्ट रचना है ताज भाई। जरूर किसी दिन आपके पास बैठ कर सोचेंगे भी और किसी मजलूम के आंसू भी पोछेंगे।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

जाके देखो घरसे बाहर किसने दी आवज़। कोई तो है गली में जो ये रात कुत्ते भोंकते है Bahut khoob Uttam Rachna Taj Sahab jaisa ki pahle bhi kah Chuka hu die heart fan hogaya..

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुन्दर, एक एक लफ्ज़ बेशकीमती है आपकी इस रचना का🙏 सलाम आपको और आपकी इस रचना को

Komal Raju said

No words.. best 🙏🙏👏👏

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