हम तो हमेशा से आपके पास थे,
आपने ही हमे नज़रअंदाज़ कर रखा था।
आपकी ग़लतियों की वजह से
आपसे कुछ नाराज़ ज़रूर थे,
पर नाराज़गी में भी हमने आपको माफ़ कर रखा था।।
आप कभी खुशी तो कभी ग़म का ख़ज़ाना
देते रहे हमे,
पर हमने हमेशा आपको शाद कर रखा था।
बहुत कोशिश करते हुए भी आपकी फितरत
समझ ना आई हमे,
आपके इसी मिज़ाज ने हमे बड़ा परेशान कर रखा था।।
चाहत बहुत कुछ हासिल करने की थी हमारी,
पर आपने तो पेश हमारी ग़ुलामी का
फ़रमान कर रखा था।
बिना अपने हुनर के जीते कैसे हम?
आपने हमारे अरमान छीन जो हमारा जीना
मुहाल कर रखा था।।
अब ना पूछो हमसे कि हम थे कहां? हम तो यहीं थे,
बस आपने ही हमे अपनी याद से बर्खास्त कर रखा था।
हम तो हमेशा आपके ही क़रीब थे,
आपने ही हमे नज़रअंदाज़ कर रखा था।।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️