कोई छत से लटक रहा
तो कोई खिड़की से कूद रहा
हद तो तब हो गई
जब कोई निर्वस्त्र घूम रहा
कोई बेटे संग नाच रही
तो कोई बहु को नचा रहा
सस्ती लोकप्रियता के
चक्कर में आदमी
क्या से क्या बना रहा।
लोक लाज को ताक पर रख
नंगा नाच कर रहा।
सोसल मीडिया सेन्सेशन
बनने के चक्कर में
आदमी आदमी से
जानवर बन रहा।
लालच लोलुपता में
यह सब हो रहा ।
नाइंटी नाइन परसेंट
कंटेंट का कोई मतलब नहीं
बनाया क्या ये भी देखने की
लोगों को फुर्सत नहीं
जो ना दिखाना चाहिए
वो सब दिखा रहें हैं ।
नहाने से धोने तक का
रील बना रहें हैं।
ना जानें क्या चाह रहें हैं।
कुछ अच्छा
कुछ नया
कुछ देश के लिए लाज़मी
ये सबके बस की बात नहीं
जो गलत हो फिरभी लाइक्स
बढ़ा दे
इनकी जैसे बाढ़ सी आ गई है।
लोग कितने गैरजिम्मेदार
बन रहें हैं।
उन्हें क्या पता बच्चें युवा यहां तक कि
बुजुर्गों में क्या छाप छोड़ रहें हैं।
देश को एंटरटेनमेंट के नाम पर
अश्लीलता परोस रहें हैं।
देश को खुशी नहीं बीमारी दे रहें हैं।
रील बनाने के चक्कर में
सस्ती लोकप्रियता की चाहत में
मुफ़्त की राशन में
अलूल ज़लूल भाषण दे रहें हैं....
लोगों को झूठी आश्वाशन दे रहें हैं...
जो ना करना चाहिए वो सब कर रहें हैं...
रील बनाने के चक्कर में लोग मर रहें हैं...
रील बनाने के चक्कर में लोग
ना जाने क्या से क्या कर रहें है...
रील बनाने के चक्कर में लोग पल पल मर रहें हैं...