कापीराइट गजल
मुझे याद तुम्हारी आती है
मुझे, तन्हाई के, आलम में, याद तुम्हारी आती है
आंखें नम हो जाती हैं, जब याद तुम्हारी आती है
एक हलचल सी मच जाती है मेरे इस तन्हा दिल में
पूछ रहा है ये दिल तुमसे क्या याद हमारी आती है
नाम तेरा ना जानूं मैं, मालूम नहीं है पता मुझको
सूरत तेरी याद आते ही, याद तेरी चली आती है
कितना प्यारा मौसम था, जब तुम से मुलाकात हुई
जब गिरती हैं ये बूंदें टप-टप, याद तुम्हारी आती है
जब काली मस्त घटा सी जुल्फों, तुम ने यूं लहराई
यादें उसकी बनके बदली मेरे दिल पर छा जाती है
जब फूल खिले इन बागों में दिल समझा तुम आई
इन, कलियों के खिलते ही, याद तुम्हारी आती है
जब आई ये मस्त बहारें खिल गए रंग फूलों पर
देख के, इन को यादव, मुझे याद तुम्हारी आती है
लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है