राह चलने से पहले,
क्या है बेहतर जानिये !!
मंज़िल तक है जाना कैसे,
खुद को ज़रा पहचानिये !!
आये अगर जो अचानक आँधी,
थोड़ा रूककर बढ़ियेगा !!
जानते थे पहले ही सब,
सोचके बस मुस्कुराइये !!
दो ही समस्या है जीवन में,
ज्ञात और अज्ञात समझ !!
ज्ञात तो होगा दूर धीरज से,
अज्ञात से ना घबराइये !!
वेदव्यास मिश्र की मोटिवेशनल कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है