अमन की वकालत बहुत हो चुकी है
रहम की अदालत बहुत हो चुकी है ।
अभी और कितने हैं इम्तिहान बाकी
वतन की शराफत बहुत हो चुकी है ।
समझते कहाँ हैं वे मुहब्बत की भाषा
लातों की आदत बहुत हो चुकी है ।
प्यासे लहू के और हैं दुश्मन अमन के
बिरयानी की दावत बहुत हो चुकी है I
बड़ी महँगी पड़ेगी ये नापाक साजिश
भारत की शराफत बहुत हो चुकी है I
दास तेरे टुकड़े कर चुके हैं हम पहले ही
दफ़न करने की चाहत बहुत हो चुकी है II
-शिव चरण दास