हर किसी के साथ लगा है, ये जिद्दी बड़ा है, रंज़·ओ·गम..
इस मोड़ पर हाथ छुड़ाया, उस मोड़ पर फिर खड़ा है, रंज़·ओ·गम..।
हमने तो जान के कभी कुछ भी, ऐसा काम ना किया..
फिर क्यूँ माथे पर, इक राज·मुकुट सा जड़ा है, रंज़·ओ·गम..।
हम तो यारो, अंजाने में कुछ गुनाह करके भूल गए थे..
मगर वक्त ने बतला दिया, किस्मत में लिखा पड़ा है रंज़·ओ·गम..।
उस बेवफ़ा की महफ़िल में, मिले थे तो मैं खूब हंसा था..
उसको न एहसास हुआ, कि दिल में मेरे गहरे गड़ा है, रंज़·ओ·गम..।
उसकी आमद पर हमने सदा, मुस्कुरा के उसका इस्तक़बाल किया..
मगर अब चश्म-ए-तर देखने की बात पे अड़ा है, रंज·ओ·गम..।
पवन कुमार "क्षितिज"


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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