हाथ पर हाथ रखा उसने तो मालूम हुआ,
अनकही बात को किस तरह सुना जाता है।
कुछ लफ्ज़ होते हैं जो लबों तक नहीं आते,
बस आंखों की नमी से समझा जाता है।
चुप रह के भी वो सब कह गया था,
जो बोल के भी कोई कह ना पाया था।
उसके एक स्पर्श ने ये यकीन दिलाया,
की कभी-कभी खामोशी से भी प्यार जताया जाता है।