तुम्हारा न होना वज़ह मालूम मुझे।
फिर भी बेकरारी का आलम मुझे।।
इत्तिला देती रही बीमारी की मुझे।
शायद लग गया इश्क सरेआम मुझे।।
बहती नदियों सी जिन्दगी तेरे बिन।
समुन्दर सा चाहिए अन्जाम मुझे।।
जो प्यार दिल में उमड़ता तेरे लिए।
उसका तसल्ली से देना इनाम मुझे।।
तेरी तस्वीर से दिन शुरू 'उपदेश'।
तेरे ख्याल में रात करे बदनाम मुझे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद