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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

रमता जोगी

हम तो रमता जोगी हैं
रम गए, तो फिर,रम गए

रोकना मत, दिल से, आवाज देकर
वरना,जम गये, तो फिर,जम गये

नशेड़ी है,गिर जाएंगे,चाहत के, नशे में
थाम लो, अगर थम गये,तो फिर,थम गये

टूट कर बिखरना, बिखर कर जुड़ना, फितरत में है
आज़माना नहीं, वरना,हम गए,तो फिर,हम गए।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

सुभाष कुमार यादव said

वाह! बहुत सुंदर रचना।👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

धन्यवाद सुभाष जी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

🙏 सादर प्रणाम 🙏 आपकी यह रचना जीवन की अनिश्चितता, आदतों और भावनाओं की गहरी धारा को अत्यंत स्वाभाविक और मुक्त रूप से व्यक्त करती है। रमता जोगी का विचार स्वतंत्रता, समर्पण और संजीवनी के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।आपकी यह रचना एक अद्भुत स्वतंत्रता की भावना और प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरती है। आपकी रचनात्मक अभिव्यक्ति को सादर नमन 🙏💫

आदर्श भूषण said

हर बिखराव हमें और मजबूत बना देता है। जैसे नदी की धारा कभी नहीं रुकती, वैसे ही जीवन की राह पर चलने वाला व्यक्ति अगर एक बार खुद को खो देता है, तो उसे फिर वापस पाना संभव नहीं होता।

आदर्श भूषण said

Bahut Khoob

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अशोक जी, आदर्श जी, इतनी सुन्दर और आत्मीय समीक्षा के लिए हृदय से धन्यवाद, आभार,आपका वंदन, अभिनंदन, बहुत बहुत शुक्रिया!!

Vineet Garg said

हम तो रमता जोगी हैं रम गए, तो फिर,रम गए waah kya bhav hai kya shukun hai in panktiyo m

Kapil Kumar said

Ramta jogi nam se hi mast kalandar andaaz nazar aata hai. Sundar rachna 👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

विनीत जी, कपिल जी, समीक्षा के लिए तहे दिल से शुक्रिया,सादर नमस्कार!!

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

विनीत जी, कपिल जी मुझे आपकी कविता पढ़ना है,पटल पर खोज रहा हूं, नहीं मिल रहा है, please help me

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