कुछ बाते कुछ यादे कुछ मुलाक़ाते ही सही
मेरे मुक़ददर में तेरे इंतज़ार की रातें ही सही
ख़ता ये हुई कि हम मर्यादा में खुद बंध बैठे
हम पर लादी गई तौहमतो की गांठे ही सही
क्या तू हैं क्या मैं हूँ क्या फर्क पड़ता हैं जानाँ
पत्थर सा दिल हैं तो और कुठाराघातें ही सही
हमने तो दिल-जुबाँ दोनों पर शहद रखा था
हमारे हिस्से लिखी भले कड़वी बातें ही सही
लोग कहते हैं "कृष्णा" में हृदय नहीं पत्थर हैं
बिखरे हृदय पे और दुत्कार की लातें ही सही..
----कृष्णा शर्मा