रूत मतवारी है प्रियतम कब आओगे
दिल में तन्हाई है प्रियतम कब आओगे
ये आँखें तकती रहती है तेरी राहों को
ये तो बता दो हमदम तुम कब आओगे
इन निगाहों में तुम्हारी छवि ही रहती है
दिल तुझको ही ढूंढ़ रहा कब आओगे
अधरों से मुस्कान मेरी ले गए तुम ही
लौटाने मुस्कान मेरी तुम कब आओगे
दिल में हर पल धक धक होता रहता है
धड़कन को समझाने तुम कब आओगे
ये गुंजन तुम्हारी सिर्फ तुम्हें ही चाहेगी
मेरे मन के मनभावन तुम कब आओगे
----डॉ पल्लवी गुंजन

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




