मेरी खुशी से लोग जलते हैं,
ग़मों से खुश होते हैं।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि दर्द में हम लोगों की नीयत से
वाक़िफ़ हो जाते हैं।
सुख है ज़िंदगी में तो खुश रह नहीं पाते हैं,
क्योंकि आगे दुःख मिलने का ग़म सताता है।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि आगे सुख जो मिलने वाला होता है।
सुख में इंसान अपनी हैसियत भूल जाता है,
दुःख में वो हिसाब से चलता है।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि एक यही है जो हमें बहुत कुछ
सीखाता है।
खुशी में इंसान आवारा हो जाता है,
दुःख में वो क़दम फूॅंक -फूॅंक कर रखता है।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि दर्द इंसान को लोहे सा मजबूत
बनाता है।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️