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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है

मेरी खुशी से लोग जलते हैं,
ग़मों से खुश होते हैं।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि दर्द में हम लोगों की नीयत से
वाक़िफ़ हो जाते हैं।

सुख है ज़िंदगी में तो खुश रह नहीं पाते हैं,
क्योंकि आगे दुःख मिलने का ग़म सताता है।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि आगे सुख जो मिलने वाला होता है।

सुख में इंसान अपनी हैसियत भूल जाता है,
दुःख में वो हिसाब से चलता है।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि एक यही है जो हमें बहुत कुछ
सीखाता है।

खुशी में इंसान आवारा हो जाता है,
दुःख में वो क़दम फूॅंक -फूॅंक कर रखता है।
मज़ा तो मुझे दर्द में ही आता है,
क्योंकि दर्द इंसान को लोहे सा मजबूत
बनाता है।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर कशमकश है दर्द सहन करने की, सुप्रभात सहित नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत replied

सुप्रभात 🙏 नमस्कार धन्यवाद!

वन्दना सूद said

क्योंकि दर्द इंसान को लोहे सा मजबूत बनाता है 👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका

कमलकांत घिरी said

बहुत खूब दीदी जी 👌🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks bhai

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

भावनात्मक गहराई और दर्शनात्मक विचारों से भरपूर रचना - Aapko Saadar Pranam Mam..

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद! प्रणाम 🙏

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