हम उनकी तारीफ़ में बड़े खूबसूरत
अल्फ़ाज़ लिखते हैं,
पर वो साफ़ - साफ़ लिखे लफ़्ज़ों को भी
ग़लत समझते हैं।
बच्चे हैं नहीं, पर हरकतें बच्चों सी करते हैं,
हम तो अब उनसे बात करने से भी डरते हैं।
सोचते हैं ना समझते हैं,
बिना लिहाज़ किए कुछ भी कह देते हैं।
सरेआम ऐसी बेइज़्ज़ती करते हैं,
ये हमे प्यार के बदले तोहफ़ा ज़ख़्मों का देते हैं।
तारीफ़ को भी मेरी, ये बुराई समझ लेते हैं,
और जब देते हैं सफाई
तो आरोप उल्टा हम ही पे डाल देते हैं।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐