पलट के ना देखा तुने
कुछ देर तो मै ठहेरा था
तेरे मेरे बीच मे क्या
इतना गहेरा कोहरा था
जाने क्यू तू बदल गया
जैसे कुछ उलझ गया था
इस उलझन मे जाने क्यो
चुप्पी का पहेरा था
नादान मै समज न पाया
उलझन को सुलझा न पाया
तेरी ओठो कि चुप्पी पर
बेवफाई का दौरा था


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







