कवि सिर्फ लिखता ही नहीं,
पढ़ता भी है..हज़ारों किताबें !!
वो पढ़ता है सभी की नज़रों को,
खेतों को और खलिहानों को !!
आते-जाते हर मौसम को,
श्रम के हर लम्बी क़तारों को !!
जो देख व्यथा दूसरों की यहाँ,
अन्तस से ही पल में तड़पता है !!
नदियों में कवि की निगाहें टिकीं,
पहाड़ों में बैठ जवानी लिखी !!
होता है असर क्या मौसम का,
जीवन के हरेक थपेड़ों का !!
वो हिसाब बयानी लिखता है ,
बचपन में कहीं खो जाता है !!
इक कवि जवानी लिखता है,
इक कवि बुढ़ापा लिखता है !!
श्रमजीवी अपनी मेहनत से,
अपने देश की क़िस्मत लिखता है !!
हर सैनिक अपनी शहादत से,
देशभक्त के बीज बोता है !!
ठीक उसी तरह तड़प से कवि,
इतिहास कालजयी लिखता है !!
जीवन के हरेक मनोभावों को,
शब्दों से पल में पिरोता है !!
वह कविहृदय ही होता है !!
वह कविहृदय ही होता है !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है