सत्य क्यों दरवेश है
सत्य क्यों दरवेश है
पहनावा तो श्वेत है
नाता उसका रौशनी से है
अंधेरो से क्यों वो भयभीत है
छिपाना उसे आता कहाँ
ज़ंजीरो की क्या औकात है
अल्फ़ाज भी अव्वल है
मौन की वो उत्तम वाणी है
अंदाज ही आगाज़ है
फिर क्यों होता उसे संसय है
प्रवेश ही आन-बान - शान है
पर अफ़सोस ग़ुमराह वो क्यों है…..