हरे-भरे खेतों की चादर में बसी,
सजीव संसार की अद्भुत हँसी।
फूलों की महक, पवन की ताजगी,
नदियों की धारा, अनमोल शांति सजी।
सूरज की किरणों का अद्भुत खेल,
चाँदनी रातों का स्वर्णिम मेल।
पंछियों की चहचहाहट, मीठी तान,
वनों का साया, धरती का मान।
पर्वत की ऊँचाई, सागर की गहराई,
अंबर की अनंतता में छुपी तरुणाई।
धरती की छाती पर बिछा यह संसार,
प्रकृति का आँगन है सजीव उपहार।
मानव तू इसका कर न अपमान,
संभाल इसे, यही है तेरे जीवन का मान।
प्रकृति की गोद में है सुख का अनंत स्रोत,
इससे ही जुड़े हैं जीवन के सब चोट।
----अशोक कुमार पचौरी