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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

नजरिया अपना-अपना

कापीराइट गजल

वो खुश हैं चंद जिन्दगियां उजाङ कर
यह भी खुश हैं चंद सिन्दूर उजाङ कर

क्या फर्क है बताओ, उनमें और हम में
क्या मिलेगा हमें, खुशियां उजाङ कर

वो बहा रहे हैं खून अब पानी की तरह
वो खुश हैं अब इंसानियत को मार कर

कौन, दानव है और कौन, देव यहां पर
करेगा कौन फैसला दुनियां उजाङ कर

अल्हाओ अकबर और ये जयहिंद के नारे
करते हैं जुदा तन से सिर को उतार कर

यह सरहदें तो हैं सदियों से दुश्मन अमन की
कुछ मिला है कहां, दुनियां उजाङ कर

जरा, पूछ कर तो देखो, तुम अपने दिल से
क्या जी पाओगे ये, दुनियां उजाङ कर

मिल के रहना सीखो, अय दुनियां वालो
मिलेंगी खुशियां हमें दुनियां संवार कर

यह, चमन तो खिलता है, फूलों से यादव
क्या मिलेगा तुम्हें यह चमन उजाङ कर

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत खूब

Lekhram Yadav replied

So many thanks sir.

श्रेयसी said

बहुत ख़ूब सुप्रभात सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद मेरी प्यारी बहना, आपको सादर नमस्कार

सुभाष कुमार यादव said

सुंदर रचना।👌👌

Lekhram Yadav replied

So many thanks dear sir, have a good evening.

Ankush Gupta said

Anmol vichar 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक स्वागत सर, आपको सादर नमस्कार

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

🙏 सादर प्रणाम 🙏 आपकी यह रचना बहुत गहरी और संदेशपूर्ण है। इसमें आपने दुनिया की बुराई, अमानवीयता, और संसार के विभाजन पर एक कड़ी टिप्पणी की है। यह मूल्यांकन करती है कि अगर हम दूसरों की खुशियों को ताड़ते हैं, तो हम खुद भी अपनी खुशियों को खो सकते हैं।आपके द्वारा रूपक के तौर पर दिखाए गए दृश्य—खून बहाना, सिर उतारना, सिंदूर उजाड़ना—यह सब ऐसे जघन्य कृत्य हैं जो किसी भी सभ्य समाज का हिस्सा नहीं हो सकते।कविता में आशावादी दृष्टिकोण है कि हमें एकता और साथ मिलकर इस विभाजन को खत्म कर, एक साथ जीवन जीने की ओर बढ़ना चाहिए।आपने सुरक्षित और समृद्ध समाज का चित्रण किया है, जिसमें खुशियां एकजुटता और समझ से पाई जाती हैं, न कि विवाद और अशांति से। -- अलंकृत भाषा और सशक्त शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो भावनाओं को स्पष्ट और प्रभावी रूप से व्यक्त करते हैं।दृष्टांत और प्रतीक के माध्यम से आपने इस काव्य को और भी प्रभावशाली बना दिया है।आपकी इस गहरी और समाज परिलक्षित रचनात्मकता को सादर नमन 🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय अशोक कुमार पचौरी आर्द्र जी आपको। सुप्रभात सहित सादर नमस्कार, आपकी सारगर्भित, विस्तृत एवं गहन प्रतिक्रया से मैं अभिभूत एवं आनन्दित हूं, इतनी खूबसूरत और अनमोल प्रतिक्रया के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत।

आदर्श भूषण said

यह रचना सच में अत्यंत उत्कृष्ट और प्रभावशाली है

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत है आदर्श जी, आपको सादर नमस्कार

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना सर जी 👌👌, बीच बीच में आप लापता हो जाते हो सब ठीक ठाक तो है न 🤔, आपको सादर प्रणाम 🙏 🙏।

Lekhram Yadav replied

माफ करना सुप्रिया जी कुछ दिनों के लिए हम अपने गाँव में चले गए थे जहां नेटवर्क सितारों की तरह आँख मिचौली खेल रहा था और हम असहाय से उनहें निहार रहे थे। आपको सादर नमस्कार।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

चमन तो फूलों से खिलता है, क्या मिलेगा चमन उजाड़ कर। वर्तमान में पाकिस्तान ने जो किया है। उसकी पीड़ा को बयां करती ये ग़ज़ल दिल को छू लेने वाली हैं।

Lekhram Yadav replied

आपको बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सर, आपको सादर नमस्कार

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