पूछती है दुनिया मुझसे मैं कुछ क्यों न हुआ
हुआ मै कुछ काफी न हुआ कुछ क्यों न हुआ
कुछ होने के जनून मे हो गया बरबाद
और हुआ कुछ तो फिर लगा कुछ क्यों न हुआ
होना किसी का कुछ किस के काम आया है
खाक हुआ होने बाद कुछ और क्यों न हुआ
हुआ जो कुछ भी किसी की मर्जी से न हुआ
रकीब दोस्त हुआ दोस्त दोस्त क्यों न हुआ
शर्म आती है मेरे साथ होने में अब उसे
पूछता है मै मैं क्यों हुआ कुछ क्यों न हुआ
सुना है की खुदा जब भी हुआ इस दुनिया में
आदमी सा हुआ फिर कुछ आदमीं क्यों न हुआ