लिखता हूं जो गजल उसका तसव्वुर हो तुम।
तुम्हें क्या पता किस तरह खूबसूरत हो तुम।।1।।
मेरे सिवा जहां में ना चाहे तुम्हें कोई और।
मेरी चाहतों की पाकीजा मोहब्बत हो तुम।।2।।
शुक्र है खुदा का जो भेजा जमीं पर तुम्हें।
सिद्दतो से की है जो मैंने वह इबादत हो तुम।।3।।
करते हैं तेरा ऐहतराम खुदा के बाद हम।
देखे हर सिर झुक जाए ऐसी शराफत हो तुम।।4।।
जिन्दगी के लिए दौलत तो कमाता हूं मैं।
खुदा जानता है मेरी असली तिजारत हो तुम।।5।।
उफ ये सादगी तुम्हारी जां न लेले हमारी।
बड़ी ही खूबसूरत हुस्न की कयामत हो तुम।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







