सावन में आ जइयो री ननदिया।
राखी पर चली अइयो री ननदिया।
कौन ए भेजूं बहना तुम्हें लिवाबे,
तेरे भईया की परदेश में नौकरिया।
फ़ोन से ही कर दूंगी मैं खबरिया।
बालक-बच्चे सारे मत लइयो,
गोदी का ललना ले अइयो री ननदिया।
एक दो महीने को मेरे मत अइयो,
दो-चार दिन को अइयो री ननदिया।
तुम बहना मुझे अधिक लाडली,
मेरे लिए तुम बिटिया बराबर।
एक तो दिन दूनी बढ़ती मंहगाई,
दूजे ना भेजे तेरे भईया ने रूपया।
साड़ी-गहने को हमसे ना झगड़ियो,
दे दें खुशी से जो, ले जइयो री ननदिया।
राखी पे आ जइयो री ननदिया।
सावन में चली अइयो री ननदिया
- सरिता पाठक