अब तो जागो,
कब तक सहते रहोगे।
अन्याय से,
कब तक डरते रहोगे।
मौन सहमति ।
अत्याचार के लिए,
कब तक देते रहोगे।
इंतजार कर रहे हो,
आत्महत्या का।
अभी वक्त है, जाग जाओ,
नहीं तो मानव के बीच में मानवता खोते रहोगे।
अब भी समय है,
एक हो जाओ।
अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को,
वापस लाओ।
कोई पहाड़ हिम्मत से बड़ा नहीं,
और अहंकार कभी जीतता नहीं।