फिर मिला दे....
उसके नजरअंदाज करने से
मुझे फर्क क्यों पड़ा,
मैं जिंदा हूँ या मर गई हूँ,
खुशी मेरी उससे है,
नज़र क्यों नहीं आता उसको,
मैं तड़पती हूँ बात करने के लिए,
छोटी सी बात पर गुस्सा क्यों आता है उसको,
अनंत गहराइयों से मैंने रिश्ता बांधा उससे,
मैं अंदर ही अंदर टूटती हूँ,
एक मुलाक़ात के लिए तुझसे,
मैं रोती हूँ एक तेरी आवाज़ सुनने को,
मैं तरस जाती हूँ बात करने के लिए तुझसे,
मैं पागल होने वाली हूँ या हो गई हूँ,
मैं मन ही मन में तुझसे विवाह रचा चुकी हूँ,
क्या तुझको भी आती है याद मेरी आवाज़ों की..?
या भूला देती है किसी से करके बात,
मैं प्रश्न वाचक हूँ सवाल लिए बैठी हूँ,
मैं तुझसे दूर हूँ फिर भी आस लिए बैठी हूँ,
तुम देना क्यों नहीं चाहते जवाब मुझे,
मुझे डसती है तेरा बात करना उससे,
क्या मैं फिर से अनजान हो गई,
जो दिल के करीब थी तेरी,
क्या वो आज अंदर ही अंदर खाक हो गई,
ज़रा बताना मुझे मैं रोती क्यों हूँ..?
मैं तुझसे दूर होकर तेरे बारे सोचती क्यों हूँ..?
मैं तेरे पास रहना चाहती हूँ,
कब तक..?
तब तक जब तक तू किसी और का नहीं हो जाता,
“सूप” की जिंदगी कम है,
तू “दीप” जला और मांग ले मुझे,
मैं उजाला होना चाहती हूँ,
तू रंग दे अपने दामन से,
मैं छुपाना चाहती हूँ तुझे अपने शब्दों में,
तू इशारा तो दे...
आ बैठ मेरे पास गले लगाकर,
मिटा दे इंतजार का पल चुटकी बजाके,
मैं जीना चाहती हूँ तेरे संग,
तू मुझे जीना सीखा दे,
किस्मत मुझे एक बार उससे फिर मिला दे, फिर मिला दे...।।
- सुप्रिया साहू

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




