डूबने वाला ही जानता होगा।
इश्क गहरा समुन्दर होगा।।
लुत्फ़ इश्क का उठाते उठाते।
गहराई नापता अन्दर होगा।।
चर्चे आम किस तरह तैराकी के।
शायद पानी का सिकंदर होगा।।
जलील इश्क में डूबने के बाद।
क़ुसूर इश्क का नही पर होगा।।
जान खुशी से कहाँ देते 'उपदेश'।
देखने वालों के लिए मंजर होगा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद