उससे पूछा न गया दिल का हाल।
और मैंने भी दफ़न कर दिया हाल।।
जिन्दगी मुर्दा जैसी कयामत के दिन।
बिन चाहे शमशान बना लिया दिल।।
हिसाब कौन लेगा अब यहाँ किससे।
मौके आए आगे भी बेज़ान पाया दिल।।
अहम बात को भुलाना प़डा सभी से।
अधूरे पड़े रहे रिश्ते पत्थर बनाया दिल।।
मनोकामना पूरी न हो सकी 'उपदेश'।
मोहब्बत से फिर भी भरा पाया दिल।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद