इस तरह प्यार के रिश्ते दोनो यहाँ,
जिन्दगी भर बखूबी निभाते रहे,
मैं उन्हें देखकर, वो मुझे देखकर,
दुख में, सुख में सदा मुस्कुराते रहे!
लाख आंधी चली, लाख तूफाँ उठे,
बीच भँवर में ना किश्ती को डुबने दिया,
एक दूजे को देकर सहारा सदा,
नाव जीवन की आगे बढ़ाते रहे!
शिकवा मैंने किया न गिला उसने की,
पीड़ा अंतस में दोनों छिपाया किए,
स्वर जो फूटे कभी वेदना से भरे,
मीठी यादों का मरहम लगाते रहे!
क्रूर बनकर कभी काल जो आ पड़ा,
खिलते उपवन को जब भी वीराना किया,
बिखरे तिनकों को हरदम समेटा किए,
आशियां हम उसी से सजाते रहे।
राग छेड़ा पवन ने कभी प्रेम का
और बंशी बजायी किसी रात को,
हाथ हाथों में डाले सदा साथ में,
चाँद तारों को छत पर बुलाते रहे।
छू गया जो कभी चाँदनी रात में,
खिले कचनार सा हमसफर का बदन,
नीर सरिता सी निर्मल वो बहती रही,
हम भी प्रमोद पाकर नहाते रहे।
_______
-- प्रमोद कुमार
गढ़वा (झारखण्ड)


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







