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कविता की खुँटी

                    

शाकाहार - प्रेमलाल किशन

दिनांक- 26/05/2025
विषय- शाकाहार
रचनाकार- प्रेमलाल किशन (सहा.शि.)
विकास खंड व जिला -सक्ती छत्तीसगढ़

रचना - शाकाहार
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आओ मिलकर एक कदम उठाएं, सदा के लिए शाकाहार अपनाएं |
मांसाहार का त्याग करें और ,शरीर को अपना स्वच्छ बनाएं ||
अनंत खाद्य-पदार्थ प्रकृति में भरी है, वही उत्तम प्राणाधार है |
शाकाहार में सारे पोषक तत्व हैं, वही सर्वोत्तम आहार है ||
इस धरती पर खाद्य पदार्थों का, प्रकृति से मिला उपहार है |
फिर भी मानव जीव-जंतु पर, करता क्यों अत्याचार है ||
पेड़-पौधों से मौसमी फल मिल जाते, ये विटामिनों के स्रोत हैं |
अनार, पपीता, आंवला और, सेव से होते शरीर के ग्रोथ हैं ||
मांस-मछली से कई गुना विटामिनें, मूंग की दाल में मिलते हैं |
इनका प्रतिदिन सेवन करने से, चंद्रमा की तरह चेहरा खिलते हैं ||
पालक,बथुआ, लाली भाजी,आयरन-कैल्सियम के भण्डार हैं |
फिर मानव क्यों जानबुझकर, मांस-मछली का करता आहार हैं ||
उस ईश्वर ने हमारे शरीर को, केवल शाकाहार के लिए बनाया है |
पाचन शक्ति उतनी ही दी है, शरीर शाकाहार को ही पचाया है ||
मांसाहार का सेवन करना,हमारे शरीर के लिए रोगकारक है |
साग-सब्जियों का सेवन किजिए, शाकाहार ही रोगनिवारक है ||
पशु, पक्षी और जीव-जंतु को,अब मारकर खाना छोड़िए |
अपना शरीर स्वस्थ बनाओं, मांसाहार से मुंह अब मोड़िए ||
आओ मिलकर एक कदम उठाएं, सदा के लिए शाकाहार अपनाएं |
मांसाहार का त्याग करें और,शरीर को अपना स्वच्छ बनाएं ||

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प्रेमलाल किशन




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