आओ चलो कुछ बात करते हैं!
कुछ तुम्हारी कुछ हमारी करते हैं!!
हां मानते हैं कि मौत मंडरा रही है हवाओं में!
हां मानते हैं कुछ कमी है इंसानों में!!
पर आओ उन वीरों की कहानी सुनते हैं!
जो मरीज़ों को ठीक़ कर के ही मानते हैं!!
जो मरते भी हैं और लड़ते भी हैं!
जो आंसू भी बहाते हैं और पोंछते भी हैं!!
आओ चलो कुछ बात करते हैं!
कुछ तुम्हारी कुछ हमारी करते हैं!!
माना कि जीने और मरने का ठिकाना नहीं!
पर आओ उन जज़्बातों को सलाम करते हैं!!
जो ऑक्सिजन का लंगर लगाते हैं!
जो दवाइयों को समय पर पहुंचाते हैं!!
जो ज़िंदगी को जीना सिखाते हैं!
जो बाहर निकलकर तुम्हारी जान बचाते हैं!!
चलो कुछ सुनते हैं सुनाते हैं!
जितना हो सके प्यार बांटते हैं!!
आओ चलो कुछ बात करते हैं!!
----परोमा भट्टाचार्या