जिंदगी में अपने जब कुछ भी काम नहीं रहता है
कहने को अच्छा है पर कुछ आराम नहीं रहता है
आदमी टूट जाता है दिन रात की भागदौड़ करके
बहुत आराम हो तो जिंदगी का नाम नहीं रहता है
हार जाने पे कब याद रखता है किसी को ज़माना
जीत कर आता है सिकंदर तो आम नहीं रहता है
मंजिल के जूनून में जब तक चलता रहता है राही
सामने जरा मुश्किल कोई भी काम नहीं रहता है
दास गिरकर उठना ही तो मकसद है जिंदगी का
आगाज नेक है अगर कोई नाकाम नहीं रहता है II