रगड़ खाई दीवार से अहसास छेड़ने जैसा।
दर्द देर में उभरा अब नही सम्हालने जैसा।।
प्यार करने की अनमोल घड़ी जैसा उद्गार।
वैसी राहत ही नही साँस लेने छोड़ने जैसा।।
दिल की धड़कन जरूर बेकाबू लगी मुझे।
मगर तड़के का गीत नही गुनगुनाने जैसा।।
तुम्हारा नाम मोहब्बत और आशिकी मुझसे।
बड़ी महंगी 'उपदेश' संयोग मिलने जैसा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद