New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सबके दामन में खुशियां हीं खुशियां भरना चाहता हूं..

ना चाह किसी की
ना हीं कोई ख्वाहिश है।
है दिल में मेरे प्यार भरा
कुछ लेने की नहीं बल्कि
देने की चाहत है।
सिर्फ प्यार लूटने की चाहत है।
यारों बचपन से ज़वानी तक तो
सभी से कुछ ना कुछ तो हमसभी
लेते हैं।
पर ज़वानी में अब तो उनकी बारी है
हमसे कुछ पाने की
चाहत उनकी पूरी होने की ।
तो आइए हम सब अब
अपने माता पिता देश समाज को
कुछ देते हैं ।
जिन्होंने हमारी सर्वांगिक विकास के लिए
अपना सबकुछ लगा दिया।
नहीं तो रहेगा हमें ताउम्र एहसास की हमनें उनके लिए कुछ ना किया।
सिर्फ लिया और कुछ ना दिया।
इसलिए मैं ये कहता हूं .. कि..
हां मैं अब सबकुछ लौटना चाहता हूं ।
माता पिता की खुशियां जिसे उन्होंने हम पर लुटाया।
गुरुजनों का आशीर्वाद जिसने हमें लायक बनाया।
पूरा समाज देश अपना अपनी दुनियां अपने लोग जो पल पल हर पल साथ निभाया ।
मेरी जिंदगी को जिंदगी बनाया।
मैं भी उन्हें वो सबकुछ लौटना चाहता हूं
है कर्ज बहुत बड़ा मुझपार
अब अपने फ़र्ज़ से हर कर्ज पूरा करना चहता हूं..
मैं सिर्फ़ प्रेम हीं प्रेम
प्यार ही प्यार लौटना चाहता हूं
सबके दामन में खुशियां हीं खुशियां भरना चाहता हूं..
सबके दामन में खुशियां हीं खुशियां भरना चाहता हूं..




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Keshav Atri said

Bilkul sahi ha dost. Mata pita guru sakha. In sbka karj to chukaye nhi chukta h. Kisi ke chehre pr apni bajh se muskan aa jaye yahi kafi ha.

Krishna Dubey said

Jarur..ham bhi kuch asa hi soch rhe hain. Jindagi ka kuch pta nahi apne mata pita ke liye kuch lr de to thodi rahat milegi. Aapki rachna bahut hi uttam hai.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah kya baat hai Aanad sir avshya sabke daaman m khushiya bhariye, aapke daaman m bhi khushiyon ki saugaat rahe aisi prarthna hai, pranam sweekar karein

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन