दूर रहकर भी मेरी बेचैनियों को बढ़ाती है।
बेरहम है शायद इसलिए इतना सताती है।।
जब भी सोचता हूँ उसके जादू के बारे में।
तभी वो और ज्यादा अन्दर याद आती है।।
नाराजगी का उस पर असर होता नही।
मन्द-मन्द मुस्कान होंठो पर तैर आती हैं।।
प्यार का असर होगा या पढ़ाई का गुरूर।
मनाने की कोशिश से उसे शरारत आती है।।
उसका रंग देखकर अचंभित होते 'उपदेश'।
खत्म कुछ होगा नही तबियत मचल जाती है।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद