राग बिन रागनी सच बनती नहीं है
चाँद बिन चांदनी बस सजती नहीं है
जिस्म रह जाता है बस नाम के लिए
सांस रुकते ही जिन्दगी बचती नहीं है
कौन है हमारे साथ रहता है हरेक पल
खुदा को छोड़ और कोई हस्ती नहीं है
दर्द मिलता है जिन्दगी भर नेकी करके
ख़ुशी पल भर से ज्यादा रूकती नहीं है
दास थक गया है दिन रात चलते चलते
और मंजिल दूर दूर तक दिखती नहीं है