कभी जो पलटकर देखता हूँ,
गुजरे वक्त के लम्हों में,
तो होता है बहुत पछतावा,
कुछ ऐसे फैसलों पर जिसे,
लेने में मैं सहज हो न सका,
दिल और दिमाग के बीच,
चल रहे द्वंद्व में किसे चुनूँ,
काश भावनाओं के द्रवीभूत हो,
न लेता फैसला तो आज जिंदगी,
कुछ और होती, बेहतर होती,
आज अफ़सोस, पछतावा है,
गुजरे वक्त के लम्हों में,
कभी जो पलटकर देखता हूँ।
🖊️सुभाष कुमार यादव