एक गहन अहसास हूँ यह जान लो
हर वक्त आस पास हूँ पहचान लो
रूप रस गंध शब्द स्पर्श से हटकर
युगों का गहन ध्यान हूँ पहचान लो
अमर अजर निरपेक्ष नित निरंतर हूँ
रूह की गहन प्यास हूँ पहचान लो
आदि से अनन्त धरती और पाताल
जल हवा अग्नि नभ हूँ पहचान लो
ना आता हूँ कहीं से ना जाता कहीं
दास रूह का उजास हूँ पहचान लो
इसमें भी उसमें भी यहाँ भी वहां भी
हमेशा अनबुझा राज हूँ पहचान लो