(कविता ) ( मृत्यु )
मृत्यु सब के घर सब के पास आती है
न खबर करती न बताती है
मृत्यु न अपना रूप दिखाती है.
न वह किसी को आवाज लगाती है
मृत्यु जिसे तोड़ना है तोड़ती है
वह तो किसी को भी नहीं छोड़ती है
जीवन हमारी अनिश्चित है
मृत्यु हमारी निश्चित है
इस लिए जग में अच्छा करना चाहिए
बुरे कामों से डरना चाहिए
बुरे कामों से डरना चाहिए.........