काव्य में कवि मर गया,
जब दुनिया उसे बेवफ़ा कह दिया,
कोई रत्जगे क्यों करेगा इस मुर्दे पे,
उसका जिस्म भी अब मिट्टी हो गया।
साँसें धुआँ है उसकी चाह में,
लिखता रहता है हर पंक्ति याद में,
वो मिले या ना मिले परवाह बगैर,
जिन्दा रहता है सिसक कर...
कवि तो खुद वैसे ही नाजुक पुतला है,
छूने से खुदा बन जाता है,
अब और क्या तड़पाएँगे उसे जमाने वाले,
वो खुद तड़पा है इश्क में,
तब पाए उसे रुलाने वाले।
-मनोज कुमार यकता


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







