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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

ऑपरेशन सिंदूर: एक सशक्त उत्तर

ऑपरेशन सिंदूर: एक सशक्त उत्तर

पल भर में लहू से घाटी भीग गई,
छब्बीस चिताएँ जलकर चीख गईं।
पहलगाम की वादी सहम गई थी,
माओं की गोदें वीर शून्य हुईं।

न कोई जश्न, न कोई एलान था,
पर भीतर भारत में तूफ़ान था।
आँखों में आँसू नहीं, अंगार था,
हर साँस में प्रतिशोध की पुकार था।

ना संसद बोली, ना घोषणाएं हुईं,
सीधे सीमाओं पर सुनवाई हुई।
"ऑपरेशन सिंदूर" बन साहस की ज्वाला,
दुश्मन के हर इरादे पर पड़ा ताला।

बहावलपुर — जहाँ घृणा ने जन्म लिया,
अब वहाँ सन्नाटा गूंज उठा।
मुरिदके, गुलपुर, सवाई के ठिकाने,
अब वीरों की गर्जना को पहचानें।

बिलाल कैंप — जो कभी डर का नाम था,
अब वह सिर्फ़ बीते वक्त की बात था।
कोटली, बरनाला, सरजाल, महमूना,
अब शांति की ओर बढ़ता कारवां बना।

जो माँगें उजड़ी थीं, वो अब मान बनीं,
जो आँखें नम थीं, वो सम्मान बनीं।
ये बदला नहीं — था न्याय का स्वर,
भारत के धैर्य का साहसी उत्तर।

यह "ऑपरेशन सिंदूर" केवल मिशन नहीं,
हर शहीद के परिजन का संकल्प था वहीं।
यह माताओं की व्यथा का उत्तर था,
राष्ट्र की आत्मा का निश्चय स्वर था।

हम चुप थे, पर कमजोर नहीं,
हम शांत थे, मगर बेजान नहीं।
जब भारत का संकल्प मुखर होता है,
दुश्मन का घमंड बिखर जाता है।

- अभिषेक मिश्रा




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

रचना ने हमें यह याद दिलाया है कि राष्ट्र का संकल्प और प्रतिशोध केवल युद्ध में नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति, स्वाभिमान और न्याय की रक्षा में भी प्रकट होता है। यह न केवल सशस्त्र संघर्ष का प्रतीक है, बल्कि मातृभूमि के प्रति हमारी निष्ठा और शहीदों के प्रति सम्मान का भी स्वर है। यह कविता देश की ताकत, धैर्य और न्याय की गहरी भावना को जागृत करती है। हर शब्द में अपार साहस और गहरे भावनात्मक संबोधन का बखान है।

अभिषेक मिश्रा replied

जी धन्यवाद् आपका, बस एक छोटा सा प्रयास था, अपने धरती मां कि वीरता और सम्मान में।

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