गुजरे जमाने खूब याद आते हैं,
जब-जब पुराने पन्ने को खंगालते हैं,
कुछ खट्टी यादें भी,
तो तमाम मिठ्ठी यादें भी,
व्यवस्था कम थी,
उमंगें हिलोर मारती थी,
जीने की जज्बा प्रबल थी,
सपने बेसुमार थे,
जो भी था....
गुजरे जमाने शानदार थे !!!
#संजय श्रीवास्तव