इक तेरी याद ..इक तेरा ज़िक्र,
इक तेरी फ़िक्र..और कुछ भी नहीं !!
जबसे तू छोड़के गया घर,
बिन तेरे घर अब घर ही नहीं !!
रात ख़ामोशियों से रौनक हैं,
दिन भी बेचैनियों के सौदागर !!
इक तेरा अक्स..इक तेरी बातें,
इक तेरी आहट..और कुछ भी नहीं !!
हम न सोचे थे कभी तुझ बिन,
यूँ होगा बसर !!
इक तेरी बात ..इक तेरी सोच,
इक तेरी सलाह..और कुछ भी नहीं !!
----वेदव्यास मिश्र
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