मानवता धर्म से ग्रसित है,
धर्म कट्टरता से ग्रसित है,
राजनिति से बचना मुश्किल है
यह अपराध से ग्रसित है
एक पक्की रस्सी मिली है, ,
बेबस गर्दन मेरी मिली है,
मिल जाय कोई टहनी,
फसल मेरी धुल में मिली है
कोई कहानी अब मुझ पे नहीं बनती,
मेरी शक्ल किरदार से नहीं मिलती,
मिट्टी में हर रोज़ ज़हर घोलता हूँ,
रोटी से अब मेरी जरूरत नहीं बनती
कुछ कर्ज़ मैंने जरूरतों के लिए लिया,
बैकों ने मेरे लम्हों को छीन लिया,
मंडियों से मैं बिना बिके लौटा हूँ,
बिचोलियों ने मेरा माल छीन लिया