ज़िंदा में ना समझें आज मैय्यत पर आके रो रहे हो।
मरने के बाद मैं कैसे अच्छा हो गया जो कह रहें हो।।1।।
तुम्हारा हर अश्क जो नजरो से तुम्हारी गिर रहा है।
पता है हमें बेवफ़ा ये तेरी झूठी कातिलाना अदा है।।2।।
हम गमों के समंदर में हमेशा ही डूबते उबरते रहे है।
और लोग है हमसे सदा झूठी मोहब्बत करते रहे है।।3।।
जो दिया है तुमने यूं धोखा उसका अज्र तो मिलेगा।
तुम्हें सजा मिलेगी जरूर कभी तो खुदा मेरी सुनेगा।।4।।
हमनें तो तुम्हारी मोहब्बत में हर एक वफ़ा निभाई।
फिर भी जाने क्यों ऐसे तुमने हमसे कर दी बेवफाई।।5।।
जब मैय्यत पर आए हो तो मेरा चेहरा भी देख लो।
अभी भी लिखा होगा तेरा नाम मेरे लबों पे पढ़ लो।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




