कविता: निर्मल भावना
दिनांक:01/09/2025
जनजीवन सबका सुखी हो हम करे आराधना।
निर्मल भावना मन में हो हम करे नित साधना।
कल्याण हो राष्ट्र का मिलकर करे हम प्रार्थना।
दीप ज्योति जलती रहे निर्बल का हाथ थामना।
सुख की चाहत त्यागकर मानवता की कामना।
एक एक का दुख दर्द मिटे सबका सुख मांगना।
अंधकार अशिक्षा मिटे, ज्योत ज्ञान की जलाना।
निर्मल भावना से प्रेम करे हम करे नित साधना।
स्वाभिमान से सब खड़े हो भय का न हो सामना।
सरसता जीवन में हो खुशहाली की करे कामना।
अन्याय अनीति दुराचरण छोड़ो लाये हम चेतना।
पावन निर्मल भावना से ही पूरी होगी ये कामना।
स्नेहपूर्ण वातावरण बने दुर्गुणों का न हो सामना।
उद्देश्य पूर्ण जीवन जिए दिलो में न रहे फासला।
कल्याण जगत का करते रहे निर्मल हो भावना।
अनवरत सब चलते रहे सबकी बने यही धारणा।
सत्यवीर वैष्णव बारां राजस्थान
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
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