कापीराइट गजल
खुद को परछाई कहती है
नहीं अखरता साथ मेरा जब वो साथ में रहती है
रिश्ता नहीं कोई मुझसे पर साथ मेरे वो रहती है
जब चलता हूं राहों में साया सा चलता साथ मेरे
पास बुलाता हूं उसको तो साफ मना कर देती है
दूर रहो तुम मुझसे ये कई बार कहा मैंने उससे
पर दूर नहीं जाती मुझसे साथ मेरे ही रहती है
रहती है खामोश सदा कभी नहीं कुछ भी बोला
बिन बोले ही रोज मेरे संग-संग चलती रहती है
नाता नहीं कोई गम से खुशियों की मोहताज नहीं
वो देती नहीं मजा कोई, पर साथ मेरे ही रहती है
ये पूछा मैंने कई बार उसे कौन हो तुम बतलाओ
देती नहीं जबाव कभी खामोश सदा वो रहती है
समझाया बहुत हमने यादव छोड़ो संग मेरे चलना
वो मेरे ही संग चलेगी खुद को परछाई कहती है
- लेखराम यादव (मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




