जो तेरा है तेरा क्यों है
जो मेरा है मेरा क्यों है
तेरे मेरे का शोर क्यों है
है मुफलिसी तो खुदा क्यों है
जन्नत सी ये जमीं पे क्यों है
हूरों शबाब में डूबा आदमी क्यों है
जिंदगी भर लड़ता रहा मैं खुद से
आज खुद पे फिर यकीं सा क्यों है
हाथ उठाये है जो गले लग जाने को
फिर आस्तीन में ये खंजर सा क्यों है
बेहिसाब है खुदा तेरी दुनिया के रहनुमा
फिर लावारिस सा आदमी घूमता क्यों है